15 March 2022

युधिष्ठिर से अनेक प्रश्न | अनोखी कथा

 

युधिष्ठिर से अनेक प्रश्न | अनोखी कथा


युधिष्ठिर से अनेक प्रश्न | अनोखी कथा


यक्ष ने वनवास के दौरान युधिष्ठिर से अनेक प्रश्न किए।

उनसे एक प्रश्न किया गया कि किन-किन सदगुणों के कारण मनुष्य क्या-क्या पल प्राप्त करता है और मानव का पतन किन-किन अवगुणों के कारण होता है?


युधिष्ठिर ने बताया,"वेद का अभ्यास करने से मनुष्य श्रोत्रिय होता है,

जबकि तपस्या से वह महत्ता प्राप्त करता है।जिसने मन पर नियंत्रण कर लिया,

वह कभी दुखी नहीं होता।सद्पुरुषों की मित्रता स्थाई होती है।

अहंकार का त्याग करने वाला सबका प्रिय होता है।

जिसने क्रोध व लोभ को त्याग दिया,वह हमेशा सुखी रहता है।कामना को छोड़ने वाला व संतोष धारण करने वाला कभी दरिद्र नहीं हो सकता।

कुछ क्षण रुककर उन्होंने आगे कहा,

"स्वधर्म पालन का नाम तप है।

सबको सुखी देखने की इच्छा करुणा है।

क्रोध मनुष्य का बैरी है और लोभ असीम व्याधि।जो जीव मात्र के हित की कामना करता है,

वह साधु है।जो निर्दयी है,वह दुर्जन है।स्वधर्म में लगे रहना ही स्थिरता है।

मन के मैल का त्याग करना ही सच्चा स्नान है।

युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नों का उत्तर देकर उसे संतुष्ट कर दिया।

धर्मराज युधिष्ठिर स्वंय सभी सदगुणों का पालन करते थे।

ऐसे अनेक प्रसंग आए ,जब वह धर्म के आदेशों पर अटल रहे।

अनेक कठिनाइयां सहन करने के बाद भी उन्होंने धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा ।

    

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Harshit chaturvedi