कौशिक युवा ब्राह्मण थे | अनोखी कथा
उन्हें लगा कि गृहस्थी में भक्ति व उपासना नहीं की जा सकती।इसलिए माता
पिता को छोड़ वन में साधना करने लगे। उन्हें दिव्य शक्ति प्राप्ति हुई।एक बार चिड़िया के एक जोड़े ने उन पर बीट कर दिया,तो उन्होंने उसे भस्म कर दिया।
एक दिन उन्होंने एक गृहस्थ के द्वार पर भिक्षा के लिए आवाज लगाई।घर की गृहणी अपने पति को औषधि दे रही थी।काफी देर बाद जब वह भोजन लेकर पहुंची,
तो देखा की भिक्षुक क्रोध में हैं।वह बोली ,"महाराज,मैं रुग्ण पति की सेवा कर रही थी।इसलिए देर हो गई।"कौशिक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और वह क्रोध में बड़बड़ाते रहे।
गृहिणी का धैर्य जवाब दे गया वह बोली,मैं चिड़िया का जोड़ा नहीं हूँ,जो आपके क्रोध से भस्म हो जाऊंगी।
यह सुनते ही कौशिक हतप्रभ रह गए।फिर उन्होंने गृहणी से धर्म के बारे में पूछा,तो वह बोली "मैं पति व सास -ससुर की सेवा को ही एकमात्र धर्म मानती हूँ ।
आप आप धर्मव्याघ नामक कसाई से ज्ञान प्राप्त करें।धर्मव्याघ के पास जाने पर कौशिक ने देखा कि वह माता-पिता की सेवा में रत है।धर्मव्याघ ने कौशिक से कहा,माता
पिता व वृद्धजनों की सेवा ही सर्वोपरि धर्म है।घर जाओ और माता-पिता की सेवा करो।भगवान की कृपा प्राप्त हो जाएगी।" कौशिक घर लौट गए और माता पिता की सेवा करने लगे।
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Harshit chaturvedi