एक बार अकबर ने एक ब्राह्मण को दयनीय हालत में भिक्षा मांगते देखा । अकबर ऐसे क्षण का मजाक बनाने का मौका नहीं छोड़ता था । उसने बीरबल से कहा, ये है आप के ब्राह्मण, जिनको ब्रह्म देवता के रूप में जाना जाता है, ये तो भिखारी है...!
बीरबल ने उस समय कुछ नहीं कहा । जब अकबर किले में लौट गया, तब बीरबल वापस आया और ब्राह्मण से पूछा कि वह क्यों भिक्षायापन करता है...?
ब्राह्मण ने बताया उसके पास धन, आभूषण, भूमि, परिवार पोषण हेतु नहीं है ।
बीरबल ने पूछा दिन में कितना कमा लेते हो...?
ब्राह्मण ने कहा 5 से 6 अशर्फियाँ...!
बीरबल ने कहा, आपको काम मिले तो आप भिक्षायापन छोड़ देंगे ?
ब्राह्मण ने पूछा क्या करना है...?
बीरबल ने कहा कि ब्रह्म-मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर प्रतिदिन 101 माला गायत्री मंत्र का जप करना है । आपको 10 अशर्फियाँ मिलेंगी । ब्राह्मण ने स्वीकार कर लिया ।
अगले दिन से ब्राह्मण ने भिक्षा याचना नहीं की, न ही कोई अपमान की भावना झेली । गायत्री जाप के असर से वह खुश भी रहा और 10 अशर्फीयाँ लेकर अपने परिवार में लौटा । दिन बीते तो बीरबल ने उस के जप की संख्या और अशर्फियों की संख्या भी बढ़ा दी ।
अब ब्राह्मण को गायत्री मंत्र की शक्ति से भूख प्यास शारीरिक व्यथायें नहीं सताती थी । गायत्री मंत्र जाप के कारण चेहरे पर तेज झलकने लगा । लोगों का ध्यान ब्राह्मण की ओर आकर्षित होने लगा ! लोग उनके दर्शन कर मिठाई, फल, पैसे, कपड़े चढ़ाने लगे ।
अब उसे बीरबल से प्राप्त होने वाली अशर्फियाँ न ही श्रद्धापूर्वक चढ़ाई गई वस्तुओं का कोई मोह या आकर्षण रहा...!
ब्राह्मण मन से गायत्री जप में लीन हो चुका था । ब्राह्मण योगी संत की खबर बहुत प्रसिद्ध हो गई । दर्शन को आए भक्तों ने मंदिर और आश्रम का निर्माण भी करा दिया ।
यह खबर अकबर को भी मिली । बादशाह ने दर्शन हेतु जाने का फैसला किया और वह शाही तोहफे लेकर राजसी शैली में बीरबल के साथ संत से मिलने चल पड़ा...! वहाँ पहुँचकर शाही भेंटें अर्पण कर ब्राह्मण को प्रणाम किया । ऐसे तेजोमय संत के दर्शन से हर्षित ह्रदय बादशाह बीरबल के साथ बाहर आ गया ।
तब बीरबल ने पूछा, आप इस संत को जानते हैं ? अकबर ने इंकार कर दिया । बीरबल ने उसे बताया कि वह वही भिखारी ब्राह्मण है, जिस पर आप व्यंग कर के कह रहे थे कि ब्राह्मण देवता होता है क्या...?
बादशाह आप उसी ब्राह्मण के पैरों में शीश नवा कर आयें हैं । अकबर के आश्चर्य की सीमा नहीं रही...! अकबर ने बीरबल से पूछा ये इतना बड़ा बदलाव कैसे हुआ ?
बीरबल ने कहा कि वह मूल रूप में ब्राह्मण है।ल । परिस्थितिवश अपने धर्म की सच्चाई व शक्तियों से दूर था । धर्म के एक गायत्री मंत्र ने ब्राह्मण को महापंडित बना दिया और कैसे बादशाह को पैरों पर झुका दिया...!
यह ब्राह्मण अधीन मंत्रो का प्रभाव है । यह सभी ब्राह्मणों पर सामान रूप से लागू होता है । क्योंकि ब्राह्मण आसन और तप से दूर रह कर जी रहे हैं...! इसीलिए पीड़ित हैं । वर्तमान में आवश्यकता है कि सभी ब्राह्मण पुनः अपने मूल ब्राह्मणोचित कर्म से जुड़ें, अपने संस्कारों को जाने और माने ।
"मूल ब्रह्म रूप में जो लीन सो ही ब्राह्मण ।"
यदि ब्राह्मण केवल अपने कर्म करे तो फिर उसके देवत्व को कोई नहीं रोक सकता । यही बातें समान रूप से सभी के कर्मों पर लागू होती हैं
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Harshit chaturvedi